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बुधवार, 25 मार्च 2020

कोरोना के डर के माहौल में क्या करना चाहिए

कोरोना के डर के माहौल में क्या करना चाहिए




वायरस और बैक्टीरिया को अपना शत्रु मत मानिए... वो आपकी कोशिका को आपसे ज्यादा जानते हैं..कोशिका भी उनके साथ तालमेल से रहना जानती है...बस अपने मन से कहिए कि वो डर और नफरत की बजाय सदभाव और साहचर्य पर ध्यान दे... मन की करतूतों ने ही बहुत सारे जीवों और सूक्ष्मजीवों को आपका विरोधी बना दिया है...अब वक़्त आ चुका है ... आप अपने मन को समझा दें कि ये धरती जितनी आपकी है... उतनी ही किसी अदृश्य सूक्ष्मजीव की या किसी सूक्ष्म पौधे की भी है...आपका शरीर खुद एक दुनिया है जिसमें बहुत सारे जीव और पदार्थ एक बेहतर तालमेल के साथ रहते हैं... ये तालमेल अनेक सूक्ष्म कणों और सूक्ष्म जीवों की अथक कोशिशों का नतीजा है... आपका दिमाग इस तालमेल का सहज संचालक है...आपका मन बहुत सारे दिमागों का एक तंत्र है जो आपके लिए सूचना, विचार और कल्पनाएं लाकर देता है...अगर आपका मन आपके दिमाग को लगातार भर रहा है तो आपका दिमाग अपनी सहज संचालन करने की क्षमता खो देता है...ऐसी स्थिति में आपके मन में अनगिनत सूचनाएं, विचार और कल्पनाएं भरी होती हैं.. लेकिन आपका दिमाग उनकी प्रोसेसिंग नहीं कर पाता और हैंग हो जाता है...ऐसे में आपके शरीर में कोशिकाओं, सूक्ष्म जीवों और पदार्थों का सहज तालमेल बिगड़ जाता है.. कुछ घटक सुप्त हो जाते हैं तो कुछ अति सक्रिय... आपकी शारीरिक दुनिया बिखरने लगती है...आपका मन आपके शरीर का दुश्मन बन जाता है क्योंकि  उसकी आसक्ति अपनी कल्पनाओं और विचारों को साकार करने में हैं.. न कि आपके शरीर की सहज व्यवस्था को चलाने में... धर्म ,राष्ट्र, जाति, अर्थव्यवस्था, सभ्यता इत्यादि मन के अलग- अलग प्रकार हैं जो किसी न किसी तरीके से आपके दिमाग को हैक करने में जुटे हैं...इन्हें आपके शरीर या किसी अन्य जीव के अस्तित्व की कोई फ़िक्र नहीं है... ये दिमागीतंत्र आपको और अन्य जीवों को केवल अपने काल्पनिक आदर्शों और लक्ष्यों की पूर्ति का साधन बना लेते हैं... अपने मन की हकीकत को आप तभी समझ सकते हैं जब आप किसी समूह या सामूहिक चेतना से अलग होकर अपने दिमाग के साथ संपर्क बहाल करें... आज एक अदृश्य सूक्ष्म जीव , जिसे कोरोना नाम दिया गया है, के माध्यम से आपको सामूहिकता या दिमागीतंत्रों से अलग रहने का अवसर मिला हैं...इस मौके का लाभ उठाइये... बीमारी, आपदा, महामारी या महाविनाश जैसे शब्दों और विचारों में खोए रहने की बजाय अपने दिमाग के संपर्क में रहिए... वही आपको आपके शरीर में मौजूद कोशिकाओं, सूक्ष्म जीवों और कणों के संसार में ले जाएगा ..जहाँ जाकर ही आप अपना ,सृष्टि का,प्रकृति का और मेरा वास्तविक स्वरूप देख समझ सकते हैं ...तभी आप देख पाओगे कि जिस सूक्ष्म जीव को आज आप मानवता का घोर शत्रु या संकट मान रहे हैं... वो लाखों सालों से आपके आसपास ही मौजूद रहा है...आपके  सहज भावों को मन के बोझ ने दबा दिया है... इसलिए आपके और सूक्ष्म जीवों के बीच स्पंदन के रूप में होने वाला सहज संवाद थम सा गया है... उस सहज संवाद को पटरी पर दोबारा लाइए... बातचीत शुरू होते ही कोरोना आपको एक सुंदर जीव के रूप में दिखेगा... अपने मन को स्पष्ट बता दीजिए कि इंसान धरती का तानाशाह नहीं... बल्कि जीवन का एक सूक्ष्म हिस्सा है...जब तक आप सूक्ष्मता को अनुभव नहीं करेंगे... तब तक आप अपने विराट ईश्वरीय स्वरूप की अनुभूति नहीं कर पाएंगे...


हेलो फ्रेंड्स हमारे पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, अगर हमारा पोस्ट आपको पसंद आ रहा है तो प्लीज कमेंट करें और साथ ही साथ हमारे ब्लॉग को sabscribe कर ले । और अगर और कुछ जानना चाहते है तो कमेंट करना ना भूले। थैंक यु By Diva knowledge Thank You...

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