कायाकल्प साधना
कायाकल्प कहने का महत्वपूर्ण अर्थ है
मतलब अपने आप को पूरी तरह से बेहतर और नवीन रूप से स्वयम को स्थापित करना होता है इस साधना मे
ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे साँप अपनी पुरानी त्वचा को छोड़ देता है जिसे हम केंचुली निकलना भीं कहते है जिससे साओ पूरी तरह नवीन त्वचा धारण कर लेता है
कायाकल्प के द्वारा साधक न केवल रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है बल्कि बहुत सारे काम भी कर सकता है
अपितु नवीन शरीर की रचना भी की जा सकती है
जिसके फलस्वरूप एक बृद्ध व्यक्ति भी पूर्ण योवनमय बन सकता है
साधक खुद का कायाकल्प अनेको तरह से कर सकता है
यह क्रिया योग के माध्यम से भी स्मम्भव है
तंत्रोक्त क्रिया द्वारा भी सम्भव है
ओर मंत्रोक्त साधना के द्वारा भी
तो यहां जो विधि दे रहा हु वो मंत्रोक्त विधि है
इसमे सामग्री आपको कायाकल्प यंत्र लगेगा
ओर एक हकीक की माला
नित्य गुरु पूजन पश्चात सुबह में एक माला इसका नित्य करना है
दिशा पूर्व ही रहेगा
तो सबसे पहले गुरु पूजन पश्चात गुरु आज्ञा ले के यह साधना सुरु करे
सामने एक पात्र में पानी भर ले पात्र कोई भी बड़ा सा कटोरा टाइप का हो सकता है
ओर उस पानी भरे पात्र में कायाकल्प यंत्र रख दे
ध्यान दे कायाकल्प यंत्र पूर्ण रूप से प्राण प्रतिष्टित हो
अब काली हकीक माला से निम्न मंत्र का एक माला जाप करे
मंत्र इस प्रकार है
स: अमृतम् पूर्ण कायाकल्पम् परमम् वै नमः
अब ध्यान दे एक बार मंत्र पढ़ कर एक फूक मारनी है पात्र नुमा कटोरे में जिसमे जल में कायाकल्प यंत्र डूबा है
इस तरह 108 यानी एक माला कर के हर मंत्र के साथ एक फूक मारनी है यानी टोटल 108 फूक
अब मंत्र जाप समाप्त होने पे कायाकल्प यंत्र को कटोरे नुमा पात्र से बाहर निकाल के
उस पानी को पी ले
इस तरह नित्य करते रहे
कुछ ही दिनों में आपके चहेरे पे चमक त्वचा में कांति इत्यादि आपको दिखने लगेगा
गुरुबहनो को बाल गिरने की समस्या इत्यादि है तो वो सब इससे ठीक हो जाएगा
बाकी अपने जरूरत के हिसाब से जितने दिन चाहे उतने दिन कर सकते है
सो आशा है आप सब इस प्रयोग से लाभ लेंगे
Diva Knowledge
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