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बुधवार, 24 जुलाई 2019

Anokhi Ghatna

Anokhi Ghatna

रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के इंतजार में बेंच पर बैठे एक बुजुर्ग हाथों में रामायण गुटका (छोटी पुस्तक ) ले कर तल्लीनता से पढ़ रहे थे । समीप ही बेंच पर एक नवयुवक अपनी श्रीमती के साथ बैठे थे ।

Anokhi Ghatna

नवयुवक बुजुर्ग से सम्बोधित होकर बोला ..आप ये सुनी सुनाई कथाओं को पढ़ने में अपना समय क्यों नष्ट कर रहे हैं ...इनसे आपको क्या सीखने को मिलेगा ? अरे पढ़ना ही है तो , अखबार पढ़ो , इंडिया टुडे पढ़ो , और भी अन्य सैकड़ो पुस्तकें उपलब्ध है जो आपको दुनियादारी सिखाती है , व्यवहारिक ज्ञान देती है , उन्हें पढ़ो ।
तभी ट्रेन आ गई । बुजुर्ग पिछले और युवक अगले दरवाजे से ट्रेन में चढ़ गए , ट्रेन चलते ही कुछ देर बाद बुजुर्ग को उसी नवयुवक के चीखने चिल्लाने ट्रेन रोकने की आवाज सुनाई दी । पता लगा युवक खुद तो चढ़ गया था किंतु उसकी पत्नी नीचे ही रह गई थी ।
तब बुजुर्ग ने उस युवक से कहा - बेटा यदि तुमने अखबारों , इंडिया टुडे और अन्य सैकडों पुस्तकों के बजाय रामायण पढ़ी होती तो तुम्हे ज्ञात होता कि वनवास हेतु अयोध्य्या से प्रस्थान करते समय रामजी ने पहले सीताजी को रथ पर चढ़ाया था खुद पीछे चढ़े थे । चढ़ि रथ सीय सहित दोउ भाई।

चले हृदयँ अवधहि सिरु नाई॥

फिर आगे गंगा पार करते समय भी ,
राम सखाँ तब नाव मगाई।  प्रिया चढ़ाई चढ़े रघुराई॥

Anokhi Ghatna

यदि तुमने जीवन मे कभी रामायण पढ़ी होती तो तुम्हे यह व्यवहारिक ज्ञान होता कि ट्रेन में पहले पत्नी और बच्चों को चढ़ाना चाहिए फिर खुद चढ़ना चाहिए

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