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बुधवार, 24 जुलाई 2019

Prachin Real Story

एक पुरातन कथा


एक गृहस्थ भक्त अपनी जीविका का आधा भाग घर में दो दिन के खर्च के लिए पत्नी को देकर अपने गुरुदेव के पास गया ।

एक पुरातन कथा


दो दिन बाद उसने अपने गुरुदेव को निवेदन किया के अभी मुझे घर जाना है। मैं धर्मपत्नी को दो ही दिन का घर खर्च दे पाया हूं । घर खर्च खत्म होने पर मेरी पत्नी व बच्चे कहाँ से खायेंगे ।


गुरुदेव के बहुत समझाने पर भी वो नहीं रुका। तो उन्होंने उसे एक चिट्ठी लिख कर दी। और कहा कि रास्ते में मेरे एक भक्त को देते जाना।


वह चिट्ठी लेकर भक्त के पास गया। उस चिट्ठी में लिखा था कि जैसे ही मेरा यह भक्त तुम्हें ये खत दे तुम इसको 6 महीने के लिए मौन साधना की सुविधा वाली जगह में बंद कर देना।

एक पुरातन कथा

उस गुरु भक्त ने वैसे ही किया। वह गृहस्थी शिष्य 6 महीने तक अन्दर गुरु पद्धत्ति नियम, साधना करता रहा परंतु कभी कभी इस सोच में भी पड़ जाता कि मेरी पत्नी का क्या हुआ, बच्चों का क्या हुआ होगा ?


उधर उसकी पत्नी समझ गयी कि शायद पतिदेव वापस नहीं लौटेंगे।तो उसने किसी के यहाँ खेती बाड़ी का काम शुरू कर दिया।

एक पुरातन कथा

खेती करते करते उसे हीरे जवाहरात का एक मटका मिला।


उसने ईमानदारी से वह मटका खेत के मालिक को दे दिया।


उसकी ईमानदारी से खुश होकर खेत के मालिक ने उसके लिए एक अच्छा मकान बनवा दिया व आजीविका हेतु ज़मीन जायदात भी दे दी ।

एक पुरातन कथा

अब वह अपनी ज़मीन पर खेती कर के खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगी।


जब वह शिष्य 6 महिने बाद घर लौटा तो देखकर हैरान हो गया और मन ही मन गुरुदेव के करुणा कृपा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने लगा कि सद्गुरु ने मुझे यहाँ अहंकार मुक्त कर दिया ।

एक पुरातन कथा

मै समझता था कि मैं नहीं कमाकर दूंगा तो मेरी पत्नी और बच्चों का क्या होगा ??


करनेवाला तो सब परमात्मा है। लेकिन झूठे अहंकार के कारण मनुष्य समझता है कि मैं करनेवाला हूं।


वह अपने गुरूदेव के पास पहुंचा और उनके चरणों में पड़ गया। गुरुदेव ने उसे समझाते हुए कहा बेटा हर जीव का अपना अपना प्रारब्ध होता है और उसके अनुसार उसका जीवन यापन होता है। मैं भगवान के भजन में लग जाऊंगा तो मेरे घरवालों का क्या होगा ?

एक पुरातन कथा

मैं सब का पालन पोषण करता हूँ मेरे बाद उनका क्या होगा यह अहंकार मात्र है।


वास्तव में जिस परमात्मा ने यह शरीर दिया है उसका भरण पोषण भी वही परमात्मा करता है।


प्रारब्ध पहले रच्यो पीछे भयो शरीर

तुलसी चिंता क्या करे भज ले श्री रघुवीर

एक पुरातन कथा



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दिवा नॉलेज द्वारा लिखा  है 

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